1. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के क्रोचे के अभिव्यंजनावाद के भारतीय काव्यशास्त्र के किस सिद्धांत के निकटतम माना है ?
(अ) रस सिद्धांत
(ब) वक्रोक्ति सिद्धांत
(स) अलंकार सिद्धांत
(द) रीति सिद्धांत
सही उत्तर – ( ब ) वक्रोक्ति सिद्धांत
EXPLAIN –
2. काॅलरिज की दृष्टि में कल्पना के विषय में असंगत कथन है-
(अ) वे कल्पना को ईश्वरीय शक्ति मानते है,
(ब) वे ललित कल्पना व कल्पना में सहज सम्बन्ध मानते है।
(स) कविता में समन्वय का विशेष महत्व है
(द) कविता में सामंजस्य कल्पना के माध्यम से घटित होता है।
(ब)वे ललित कल्पना व कल्पना में सहज संबंध मानते हैं।
3. क्रोचे के सम्बन्ध में असंगत कथन है –
(अ) क्रोचे का अभिव्यंजनावाद सिद्धान्त केवल काव्य पर ही लागू नहीं होता, सभी ललित कलाओं के लिए समान रूप से महत्व रखता है
(ब) क्रोचे की पुस्तक का शीर्षक ’एस्थेटिक’ है।
(स) क्रोचे के माक्र्स द्वारा प्रतिपादित द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद को स्वीकार किया।
(द) क्रोचे मूलतः आत्मवादी दार्शनिक थे।
4. ‘बायोग्राफिया लिटरेरिया ‘ के लेखक है
(अ) काॅलरिज
(ब) लोंजाइनस
(स) प्लेटो
(द) टी. एस. इलियट
5. “इतिहास बोध का अर्थ अतीत के अतीतत्व का ही नहीं अपितु उसके वर्तमानत्व का भी अवगम है।” यह मान्यता किसकी है ?
(अ) अरस्तू
(ब) क्रोचे
(स) काॅलरिज
(द) टी. एस. इलियट
6. टी. एस. इलियट का मत नहीं है-
(अ) कला की जैविक सत्ता होती है
(ब) कविता का अपना एक अलग स्वतंत्र जीवन है।
(स) काव्यगत संवेदना और कवि के मन की संवेदना भिन्न होती है।
(द) कला का संवेग वैयक्तिक होता है।
7. काॅलरिज के कल्पना सिद्धांत के सम्बन्ध में असंगत है –
(अ) मुख्य कल्पना समस्त मानवीय प्रत्यक्ष बोध की आद्य अभिकर्ता तथा जीवन्त शक्ति है।
(ब) गौण कल्पना मुख्य कल्पना की प्रतिध्वनि है।
(स) वे मुख्य कल्पना को तर्क से तथा गौण कल्पना को समझ से जोड़ते है
(द) मुख्य कल्पना तथा गौण कल्पना में गुण का नहीं, मात्र परिमाण का अन्तर है।
8. ‘कविता भाव का स्वच्छन्द प्रवाह नहीं, भाव से पलायन है’ व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति नहीं, उससे मुक्ति का नाम है।’ मान्यता किसकी है –
(अ) प्लेटो
(ब) अरस्तू
(स) टी. एस. इलियट
(द) क्रोचे
9. मार्क्सवादी चिन्तन से प्रभावित हिंदी की प्रमुख साहित्य परम्परा है –
(अ) नयी कविता
(ब) छायावाद
(स) प्रयोगवाद
(द) प्रगतिवाद
10. किस कथन से इलियट सहमत नहीं है –
(अ) परम्परा में अतीत के प्रति विद्रोह सम्भव नहीं है
(ब) परम्परा के ज्ञान से साहित्यकार को यह जानकारी हो जाती है कि उसे क्या करना चाहिए।
(स) परम्परा के ज्ञान से यह ज्ञात होता है कि साहित्यकार की कृति का मूल्य क्या है
(द) परम्परा दाय के रूप में स्वयं उपलब्ध नहीं होती उसे प्राप्त करने के लिए सचेष्ट प्रयत्न किया जाना चाहिए।
11. ‘उसने कहा था।’ कहानी के सम्बन्ध में असंगत है –
(अ) रचना के धरातल पर परिवेश व चेतना असम्पृक्त है।
(ब) भाषा व परिवेश की एकरूपता इस कहानी की शक्ति है।
(स) आदर्श के एक बिन्दु से प्रारम्भ होकर यथार्थ का विस्तार कहानी में समाहित है।
(द) कहानी का अन्त बलिदान के रूप में आदर्शवादिता लिए हुए है।
12. ‘कफन’ कहानी के सम्बन्ध में असंगत है-
(अ) कफन प्रेमचन्द की कथा चेतना और संरचना में बदलाव उपस्थित करने वाले महत्वपूर्ण कहानी है
(ब) कफन कहानी अपनी संरचना को नैतिक समाधानमूलक अंतिम बिन्दु के शासन से मुक्त करता है
(स) कहानी अर्थमूलक यथार्थ के कई जटिल आयामों को एक साथ उद्घाटित करती है
(द) कहानी निर्दिष्ट अन्तिम बिन्दु की ओर नाटकीयता से पहुँचने का प्रयत्न करती है।
13. भोजपुरी बोली के सम्बन्ध में असत्य कथन है
(अ) दक्षिणी भोजपुरी, भोजपुरी का परिनिष्ठित रूप है।
(ब) भोजपुरी बोली की उत्पति अर्द्धमागधी अपभ्रंश से मानी जाती है।
(स) भोजपुरी बोली के लिए नागरी व कैथी लिपि का प्रयोग होता है।
(द) भोजपुरी बोली का क्षेत्र गोरखपुर, बनारस, बलिया आदि है।
14. आदिकालीन हिंदी के सम्बन्ध में उपयुक्त नहीं है-
(अ) संयोगात्मकता की ओर झुकाव
(ब) ‘ड़’ ध्वनि का विकास
(स) ‘ढ़’ ध्वनि का विकास
(द) संयुक्त स्वर ‘ऐ’ का प्रयोग
15. राजस्थानी भाषा के सम्बन्ध में असंगत है
(अ) ’ख’ ध्वनि के लिए प्राचीन राजस्थानी साहित्य में प्रायः ’ष’ लिपि चिह्न का प्रयोग हुआ है।
(ब) डाॅ. भोलानाथ तिवारी राजस्थानी का सम्बन्ध शौरसेनी के एक रूप नागर अपभ्रंश से मानते है।
(स) राजस्थानी को मरुभाषा, मरुबानी आदि कहा गया है।
(द) राजस्थानी भाषा-भाषी क्षेत्र वर्तमान राजस्थान की भौगोलिक सीमा तक ही सीमित है।
16. पिंगल मिश्रित भाषा की रचना है-
(अ) मुँहणोत नैणसी री ख्यात
(ब) पृथ्वीराज रासो
(स) अचलदास खींची री वचनिका
(द) पाबूजी रा दूहा
17. उत्तरी-पूर्वी राजस्थानी की प्रमुख बोली है-
(अ) मेवाती
(ब) मारवाड़ी
(स) हाड़ौती
(द) ढूंढाड़ी
18. साहित्य के महत्व के सम्बन्ध में माक्र्सवादी सिद्धांत विषयक असंगत कथन है-
(अ) साहित्य वर्गों के बीच विचारधारात्मक संघर्ष में महत्वपूर्ण अंग है
(ब) साहित्य श्रमिक वर्ग व जनसाधारण की शिक्षा और चेतना में योगदान कर सकता है
(स) साहित्य शोषकों की शक्ति को मजबू बना सकता है तो उसकी जड़ें भी खोद सकता है
(द) वर्ग अचल व अपरिवर्तनशील होते है तथा उनका आपसी सम्बन्ध इतिहास की धारा के साथ बदलता नहीं है।
19. ’’इस मानसिकता का कोई विचारधारात्मक आधार भी नहीं है क्योंकि इसका एक महत्त्वपूर्ण लक्षण विचारधारा मात्र का निषेध है।’’ यह कथन साहित्यशास्त्र की किस आलोचना पद्धति के सन्दर्भ में उपयुक्त है ?
(अ) उत्तरआधुनिक
(ब) निर्वैयक्तिकता
(स) मार्क्सवाद
(द) अभिव्यंजनावाद
20. मार्क्सवादी साहित्य चिंतन के अनुसार उपयुक्त कथन नहीं है-
(अ) कला अपने सभी रूपों में सर्वोत्तम सामाजिक गतिविधि रही है
(ब) अनुभव या बोध के कलात्मक अंकन की प्रतिभा जन्मजात रूप में प्राप्त नहीं होती।
(स) यथार्थवादी चित्रण यथार्थ की मात्र नकल है
(द) कला के अभिप्राय, सन्देश, सार तत्व व रूप-शिल्प में बदलाव होता रहता है
21. उत्तर आधुनिकतावादी अवधारणा के प्रभाव के सम्बन्ध में असंगत कथन है –
(अ) संस्कृति व कलाकृतियाँ भी उत्पाद हो गयी
(ब) वैशिष्ट्य का महत्व कम व संख्या का महत्व अधिक हुआ
(स) रचनाकार का ध्यान प्रभाव की प्रकृति और गुणवत्ता पर टिका रहता है, प्रसार व सफलता पर नहीं।
(द) आइडियालाॅजी की जगह टेक्नाॅलाॅजी का वर्चस्व बढ़ने लगा।
22. ’साहित्यिक पाठ व आलोचनात्मक पाठ में कोई भेद नहीं होता।’ यह विचार निम्नलिखित में से किस चिन्तन दृष्टि के निकट है ?
(अ) कल्पना सिद्धांत
(ब) विखण्डनवाद
(स) अभिव्यंजनावाद
(द) परम्परा और निवैंयक्तिकता सिद्धांत
23. साहित्य में विखण्डनवाद के उद्भावक आचार्य माने जाते है –
(अ) जाॅक देरिदा
(ब) काॅर्ल माक्र्स
(स) सुधीश पचैरी
(द) एफ. आर. लीविस
24. उत्तरआधुनिकतवादी सोच के विकसित होने के कारणों में शामिल नहीं है –
(अ) भूमण्डलीकरण
(ब) एक संस्कृति का दूसरी संस्कृति पर आधिपत्य
(स) सूचना का साम्राज्यवाद
(द) साहित्य का दृढ़ता के साथ स्थापन
25. “यह कहानी 16वीं शताब्दी के बाद की लिखी हुई है और रासो में प्रक्षिप्त हुई है।” पद्मावती समय के विषय में यह कथन किसका है ?
(अ) रामचन्द्र शुक्ल
(ब) हजारीप्रसाद द्विवेदी
(स) राहुल सांकृत्यायन
(द) गणपतिचन्द्र गुप्त
26. “मन अति भयो हुलास, बिगसि जनु कोक किरन रवि।
अरुन अधर तिय सधर, बिंब फल जानि कीर छवि।।”
उक्त काव्यांश में किसके उल्लास का उल्लेख है ?
(अ) पद्मावती की माता
(ब) पद्मावती के पिता
(स) पद्मावती
(द) पद्मावती की सहेली
27. “राम मनुष्य हैं पर मनुष्यता का वरण उन्होंने उसी सीमा तक किया है जहाँ तक………..है।” कुबेरनाथ राय के निबंध राघवः करुणो रसः’ के आधार पर राम के सम्बन्ध में रिक्त स्थान हेतु उपयुक्त विकल्प है
(अ) शील और करुणा का सम्बन्ध
(ब) कर्म के प्रति निरासक्ति
(स) स्व का अन्वेषण
(द) अनासक्ति और तटस्थता
28. अज्ञेय की कहानी ‘ रोज ‘ का प्रारम्भिक नाम है-
(अ) नीली हँसी
(ब) छाया
(स) गेंग्रीन
(द) अभिशापित
29. ‘उजाले के मुसाहिब’ कहानी में ‘उजाले’ से व्यंजित नहीं है
(अ) स्वर्ग का प्रत्यक्ष रूप
(ब) अन्तस की अकलुष स्थिति
(स) परब्रह्म की अनुभूति
(द) पानी की भाँति उलीचना
30. ‘टार्च उठाकर देखा- दीवार- सिरहाने और दाहिनी बगल दोनों ही लाल चलित बिन्दुओं से सुशोभित हो रही है। ‘मेरी तिब्बत यात्रा’ में लेखक ने ‘लाल चलित बिन्दु’ किसके लिए प्रयुक्त किया है ?
(अ) लाल चीटियाँ
(ब) चुहिया
(स) तिलचट्टा
(द) खटमल
31. ‘पुरस्कार’ कहानी के सन्दर्भ में असंगत कथन है–
(अ) नायिका का देश के प्रति प्रेम-भाव
(ब) स्वयं को पीड़ा देकर दूसरों को आलोकित
(स) नायिका का प्रिय के प्रति प्रेम भाव
(द) देशप्रेम व प्रियतम-प्रेम का द्वन्द्व
32. राहुल सांकृत्यायन को तिब्बत यात्रा के दौरान तीर्थकर महावीर की मूर्ति दिखाई दी थी-
(अ) चि-दोंड् प्रसाद में स्थित देवालय में ✔
(ब) फुन् – छोग् – फो – ब्रङ् स्थित प्रासाद में
(स) स क्य के ल्ह- खङ् – छेन् – मो स्थित स्तूप में
(द) छु-शोर-ग्य-पोन् गाँव के देवालय में
33. नड़्-र्चे गाँव में भोटिया सरदार द्वारा घी-मक्खन मिलाई चाय को उठाकर फेंकने का कारण था-
(अ) खच्चर के गले के घुँघरू का चाय में गिर जाना
(ब) ठण्डी जगह के कारण चाय का बेहद ठण्डी हो जाना
(स) लेखक के चोगे के नीचे के दामन का प्याले से छू जाना।
(द) ख-चे द्वारा चाय के प्याले को छू लेना।
34. ‘मेरी तिब्बत यात्रा’ में फुन्-दो के, ब्रह्मपुत्र की शाखा के तट के सम्बन्ध में वर्णित वृतान्त में शामिल नहीं है-
(अ) यहाँ आदमियों के लिए लोहे की सांकल पर चमड़े से बांधी लकड़ियों का झूला है
(ब) यहाँ सामान के लिए लकड़ी की नाव का इन्तजाम है।
(स) यहाँ जानवरों के लिए तैर कर पार होना पड़ता है
(द) यह मंगोलिया और कन-सू (चीन) की ओर का प्रधान रास्ता है।
35. हिंदी (17 बोलियाँ) का उद्भव अपभ्रंश के किस रूप से सम्बद्ध नहीं है ?
(अ) शौरसेनी अपभ्रंश
(ब) अर्द्धमागधी अपभ्रंश
(स) मागधी अपभ्रंश
(द) पैशाची अपभ्रंश
36. ब्रजभाषा का स्थानीय रूप नहीं है
(अ) जादोबाटी
(ब) डांगी
(स) सिपाड़ी
(द) सिकरवाड़ी
37. कम्मान बाँन छूट्टहि अपार।
लागँत लोह इस सारि धार।।
घमसान धान सब वीर षेत।
घन स्रोन बहुत अस रकत रेत।।
उक्त पंक्तियों में किनके मध्य होने वाले युद्ध का वर्णन है ?
(अ) पृथ्वीराज की सेना शहाबुद्दीन गौरी की सेना।
(ब) शहाबुद्दीन की सेना व कुमोदमणि की सेना।
(स) पृथ्वीराज की सेना व समुद्र शिखर की सेना
(द) शहाबुद्दीन गौरी की सेना व विजयपाल की सेना।
38. साहित्य समीक्षा के क्षेत्र में विखण्डनवाद के उभार का महत्वपूर्ण काल निम्नलिखित में से है –
(अ) बीसवीं शताब्दी का चैथा दशक
(ब) बीसवीं शताब्दी का पाँचवाँ दशक
(स) बीसवीं शताब्दी का छठा दशक
(द) बीसवीं शताब्दी का सातवाँ दशक
39. “अंषड़ियाँ झाईं पड़ी, पंथ निहारि निहारि।
जीभड़ियाँ छाल पड्या, राम पुकारि पुकारि।।”
इस साखी में निम्नलिखित में से किस साधना-पद्धति का मुख्य प्रभाव है ?
(अ) नाथपंथी साधना
(ब) सूफी साधना
(स) सिद्ध साधना
(द) अद्वैत वेदान्त
40. ‘दुलहनी गावहु मंगलाचार’, पद में प्रेम का कौन सा रूप है ?
(अ) साहचर्यजन्य प्रेम
(ब) सहज प्रेम
(स) विषम प्रेम
(द) दाम्पत्य प्रेम
41. “भाषा बहुत परिष्कृत और परिमार्जित न होने पर भी कबीर की उक्तियों में कहीं कहीं विलक्षण प्रभाव और चमत्कार है। प्रतिभा उनमें बड़ी प्रखर थी, इसमें संदेह नही।” कबीर के संदर्भ में यह कथन किसका है ?
(अ) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
(ब) हजारीप्रसाद द्विवेदी
(स) बाबू श्यामसुन्दर दास
(द) विजयेन्द्र स्नातक
42. मीरां की कविता के सम्बन्ध में अनुपयुक्त है –
(अ) मीरां के काव्य में बिछोह की तड़पन ज्यादा है।
(ब) मीरां का प्रेम परिवार से निरन्तर तिरस्कार पाता है
(स) मीरां के काव्य में रहस्यानुभूति का रंग है
(द) मीरां का विद्रोह साध्य है साधन नहीं
43. ‘या ब्रज में कछु देख्यो री टोना’ पद में प्रयुक्त पंक्ति ‘ले लेहु री कोई स्याम सलोना’ के माध्यम से संकेतित है-
(अ) आवाज लगाकर दही बेचना
(ब) गुजरिया की विक्रय कुशलता
(स) प्रेमावेग में वर्तमान का विस्मरण
(द) विरह पीड़ा में कृष्ण का बेचने का भाव
44. “एक अचम्भा देखा रे भाई,
ठाढ़ा सिंघ चरावै गाई।”
पहलैं पूत पीछे भई माँई, चेला कै गुरु लागै पाई।
जल की मछली तरवर ब्याई, पकरि बिलाई मुरगै खाई।
बैलहि डारि गूंनि घरि आई, कुत्ता कूँ लै गई बिलाई।।
तलि करि साषा ऊपरि करि मूल, बहुत भांति जड़ लागे फूल।
कहै कबीर या पद को बूझै, ताँकू तीन्यूँ त्रिभुवन सूझै।।
पद के सन्दर्भ में असंगत है –
(अ) उलटबाँसी
(ब) भक्ति की चरम दशा
(स) योग की साधना पद्धति
(द) गेयता
45. “गोकुल सबै गोपाल-उपासी।
जोग अंत साधत जे ऊधो, ते सब बसत ईसपुर कासी।।”
में ‘ईसपुर’ से व्यंजित अर्थ है –
(अ) शिव की नगरी
(ब) विष्णु की नगरी
(स) देवताओं की नगरी
(द) कृष्ण की नगरी
46. “आये जोग सिखावन पाँडे…………
सूरदास तीनों नहिं उपजत धनिया, धान, कुम्हाँडे।”
इस पद में ‘तीनों ‘ का व्यंग्यार्थ है-
(अ) धनिया, धान, कुम्हाँडा
(ब) प्रेमाभक्ति साधना, निर्गुण की साधना, योग साधना
(स) भक्ति, प्रकृति, ज्ञान
(द) कृषि उपज, हृदय के भाव, साधना
47. “नागरि नारि भलै बूझेगी अपने बचन सुभाव।”
पंक्ति से अभिव्यंजित नहीं है-
(अ) नगर का चतुराई भरा जीवन
(ब) मथुरा की स्त्रियों का स्वभाव
(स) गोपियों का असूया भाव
(द) यशोदा का कृष्ण प्रेम
48. ‘जोगी! मत जा, मत जा, मत जा,’ पंक्ति में ‘जोगी’ से मीरां का अभिप्राय है
(अ) कृष्ण
(ब) उद्धव
(स) योगी
(द) गोरखनाथ
49. जायसी ने ‘नागमति वियोग खण्ड’ में बारहमासा का प्रारम्भ किस मास से किया है ?
(अ) चैत्र
(ब) वैशाख
(स) ज्येष्ठ
(द) आषाढ़
50. “टप टप बूँद परहिं जस ओला। बिरह पवन होइ मारै झोला।” पंक्ति में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने रेखांकित अंश से आशय ग्रहण किया है-
(अ) वात के प्रकोप से अंग का सुन्न हो जाना
(ब) विरह रूपी पवन से राख बन उड़ जाना
(स) कृशकाय होने के कारण असंतुलित होना
(द) शरीर का अत्यधिक कम्पित होना।
51. “जेहि पंखी के निअर होइ कहै विरह कै बात।
सोई पंखी जाइ जरि तरिवर होई निपात।।”
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने इन पंक्तियों में माना है –
(अ) प्रकृति का सुरम्य चित्रण
(ब) ऊहात्मक पद्धति
(स) विरह ताप की विशद व्यंजना
(द) अलंकार का उत्कृष्ट उदाहरण
52. “इसमें सगुणोपासना का निरूपण बड़े ही मार्मिक ढंग से- हृदय की अनुभूति के आधार पर, तर्क पद्धति पर नहीं- किया है।” सूरदास के भ्रमरगीत के सन्दर्भ में यह कथन किसका है ?
(अ) नन्ददुलारे वाजपेयी
(ब) हजारी प्रसाद द्विवेदी
(स) रामचन्द्र शुक्ल
(द) ब्रजेश्वर वर्मा
53. “जानत हौं हरि रूप चराचर मैं हठि नैन न लावौं।
अंजन-केस सिखा जुवति तहँ, लोचन सलभ पठावौं।।”
-में रेखांकित अंश से असम्बद्ध अर्थ है-
(अ) नेत्रों में काजल लगाए हुए
(ब) पर्वत शिखर से बहते अग्नि झरने के समान
(स) सटकारे काले केश वाली
(द) दीपक की ज्योति के समान कामिनी
54. “भलो पोच राम को कहैं मोहिं सब नरनारी।” में ‘पोच’ से अभिप्राय है
(अ) नीच
(ब) उत्कृष्ट
(स) भक्त
(द) अनुगामी
55. “पिउ सौं कहेहु सँदेसड़ा, हे भौंरा! हे काग!
सो धनि बिरहै जरि मुई, तेहि क धुवाँ हम्ह लाग।।”
– में भौंरे व काग को अलग-अलग सम्बोधित करने की व्याख्या के प्रसंग में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का कथन है-
(अ) यह अलंकार का प्रभाव है
(ब) रंग की समानता से यही सम्भव है।
(स) आवेग की दशा में यही उचित है
(द) छन्द की पाद-पूर्ति हेतु किया गया है
56. वियोग हरि ने तुलसीदास को किस सम्प्रदाय में परिगणित किया है ?
(अ) स्मार्त वैष्णव
(ब) वेदान्ती
(स) निम्बार्की
(द) रामानन्दी
57. “मेरी भव बाधा हरौ, राधा नागरि सोइ।
जा तन की झाई परैं, स्यामु हरित-दुति होइ।।”
में रेखांकित अंश से संकेतित नहीं है
(अ) मन के कलुष का दूर होना
(ब) गौरवर्णीय राधा का श्यामवर्णी होना
(स) श्याम रंग का हरित वर्ण होना
(द) कृष्ण की कान्ति कम होना
58. “गज उधारि, हरि थप्यो विभीषन, ध्रुव अविचल कबहुँ न टरै।
अब रीष की साप सुरति करि, अजहुँ महामुनि ग्लानि गरै।।”
-में महामुनि से आशय है-
(अ) वाल्मीकि
(ब) वसिष्ठ
(स) दुर्वासा
(द) अम्बरीष
59. “तो पर वारों उरबसी, सुनि राधिके सुजान।
तू मोहन कैं उरबसी ह्वै उरबसी- समान।।”- में रत्नाकरजी ने ‘उरबसी’ का क्रमशः अर्थ किया है –
(अ) अप्सरा विशेष, उर में बसी, भूषण विशेष
(ब) उर में बसी, अप्सरा विशेष, भूषण विशेष
(स) भूषण विशेष, उर में बसी, अप्सरा विशेष
(द) अप्सरा विशेष, भूषण विशेष, उर में बसी
60. बिहारी के किस दोहे में भक्ति का सन्दर्भ नहीं है ?
(अ) जम-करि-मुँह तरहरि पर्यौ, इहिं धरहरि चित लाउ।
(ब) मेरी भव बाधा हरौ, राधा नागरि सोइ।
जा तन की झाई परैं, स्यामु हरित दुति होइ।।
(स) अजौं तर्यौना ही रह्यौ श्रुति सेवत इक रंग।
नाक-बास बेसरि लह्यौ बसि मुकुतन कैं संग।।
(द) फिरि फिरि चितु उत हीं रहतु टुटी लाज की लाव।
अंग अंग छबि झौंर मैं भयौ भौंर की नाव।।
61. “सनि कज्जल चख झख लगन उपज्यौ सुदिन सनेहु।
क्यों न नृपति ह्वै भोगवै लहि सुदेसु सबु देहु।।”
इस दोहे में बिहारी के किस विशिष्ट ज्ञान का परिचय प्राप्त होता है ?
(अ) भक्ति विषयक ज्ञान
(ब) चिकित्सा विषयक ज्ञान
(स) ज्योतिष विषयक ज्ञान
(द) प्रकृति विषयक ज्ञान
62. कामायनी के दर्शन का केन्द्रीय आधार है-
(अ) प्रत्यभिज्ञा दर्शन
(ब) वेदान्त दर्शन
(स) बौद्ध दर्शन
(द) सांख्य दर्शन
63. ‘त्यागपत्र’ में प्रमोद के चरित्र से मेल नहीं खाने वाला कथन है –
(अ) उसके चिन्तन की परिणति आत्मविसर्जन में होती है
(ब) समाज की विषमताओं को देखकर उनके बारे में सोचता है।
(स) समाधान की तलाश में बेचैन रहता है
(द) आत्मलोचन के माध्यम से सभ्य समाज की विसंगतियों को ढकने का प्रयत्न करता है।
64. “क्योंकि वह जिन्दा था! जिन्दा रहने का मतलब समझते है न आप ? लोग भूल गये है जिंदा रहने का मतलब।” महाभोज उपन्यास में यह कथन किसका है ?
(अ) दत्ता बाबू
(ब) बिन्दा
(स) दा साहब
(द) महेश शर्मा
65. ‘त्यागपत्र’ की मृणाल के व्यक्तित्व के विषय में अनुपयुक्त है-
(अ) आत्मपीड़न
(ब) पर- दया भाव
(स) अपनी नियति की स्वयं निर्मात्री
(द) समाज को तोड़ने-फोड़ने की चाह
66. हजारीप्रसाद द्विवेदी के अनुसार नाखून का बढ़ना प्रतीक है-
(अ) दैवीय वृत्ति का
(ब) पाशवी वृत्ति का ✔
(स) मानवोचित वृत्ति का
(द) स्वनिर्धारित आत्मबन्धन वृत्ति का
67. ‘मीत सुजान अनीत करौ जिन, हा हा न हूजियै मोहि अमोही।
डीठि कौं और कहूं नहिं ठौर, फिरी दृग रावरे रूप की दोही।
एक बिसास की टेक गहे लगि आस रहे बसि प्रान बटोही।
हौं घनआनन्द जीवनमूल, दई कित प्यासनि मारत मोही।’
उक्त सवैये के सन्दर्भ में किस विकल्प में विरोध भाव नहीं है ?
(अ) मीत-अनीत
(ब) मोही-अमोही
(स) जीवनमूल-प्यासनि
(द) डीठि-ठौर
68. स्वच्छन्द प्रवाह के प्रमुख कत्ताओं में रसखानि, आलम, ठाकुर, घनानन्द, बोधा और द्विजदेव का नाम लिया जा सकता है। इन सबमें श्रेष्ठ घनानन्द ही प्रतीत होते है। कथन किसका है ?
(अ) विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
(ब) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
(स) मनोहरलाल गौड़
(द) डाॅ. नगेन्द्र
69. ‘जब तें निहारे घनआनन्द सुजान प्यारे
तब तें अनोखी आगि लागि रही चाह की’ में विरह का कारण है-
(अ) मान
(ब) प्रवास
(स) पूर्वराग
(द) करुण
70. “कामायनी की यह कथा केवल एक फैंटेसी है।” कामायनी के सन्दर्भ में यह कथन किसका है ?
(अ) द्वारिकाप्रसाद सक्सेना
(ब) गजानन माधव मुक्तिबोध
(स) रामस्वरूप चतुर्वेदी
(द) डाॅ. नगेन्द्र
71. “आस की अकास मधि अवधि गुनै बढाय
चोपनि चढाय दीनौ कीनौ खेल सो यहै।
निपट कठोर ये हो ऐंचत न आप ओर
लाडिले सुजान सों दुहेली दसा को कहै।
अचिरजमई मोहिं भई घनआनन्द यौं
हाथ साथ लाग्यौ पै समीप न कहूँ लहै।
बिरह समीप के झकोरनि अधीर, नेह-
नीर भीज्यौ जीव तऊ गुड़ी लौं उड्यौ रहै।”
में अलंकार नहीं है-
(अ) रूपक
(ब) अपह्रुति
(स) व्यतिरेक
(द) उपमा
72. ‘और उस मुख पर मुसक्यान!
रक्त किसलय पर ले विश्राम।
अरुण की एक किरण अम्लान
अधिक अलसाई हो अभिराम।’
के संदर्भ में अनुपयुक्त व्याख्या है-
(अ) मुस्कान का बिम्बपरक अंकन
(ब) श्रद्धा का सौन्दर्य वर्णन
(स) अस्ताचलगामी सूर्य की एक किरण से तुलना
(द) गेयता
73. “संसार की समर-स्थली, में धीरता धारण करो।
चलते हुए निज इष्ट पथ पर संकटों से मत डरो।
जीते हुाए भी मृतक सम रह कर न केवल दिन भरों।
वीर-वीर बनकर आप अपनी, विघ्न बाधाएँ हरो।।”
ये पंक्तियाँ किस छन्द में निबद्ध है ?
(अ) गीतिका
(ब) उल्लाला
(स) हरिगीतिका
(द) कवित्त
74. मन्दाक्रान्ता छन्द का गणक्रम है-
(अ) य म न स भ ल ग
(ब) न भ भ र
(स) त भ ज ज ग ग
(द) म भ न त त ग ग
75. “धर्म के मग में अधर्मी से कभी डरना नहीं।
चेत कर चलना, कुमारग में कदन धरना नहीं।
शुद्ध भावों में भयानक भावना नहीं।
बोध-वर्धक लेख लिखने में कमी करना नहीं।।”
छन्द में निबद्ध है-
(अ) गीतिका
(ब) हरिगीतिका
(स) द्रुतविलम्बित
(द) कवित्त
76. ‘हृदय की अनुकृति बाह्य उदार
एक लम्बी काया, उन्मुक्त;
मधु पवन क्रीडित ज्यों शिशु साल
सुशोभित हो सौरभ संयुक्त।’-
के संदर्भ में असंगत है-
(अ) हृदय की उदात्तता का वर्णन
(ब) देहयष्टि का वर्णन
(स) मादकता का वर्णन
(द) मनु का सौन्दर्य वर्णन
77. ’राम की शक्ति पूजा’ कविता मूलतः किस संकलन में है ?
(अ) गीतिका
(ब) परिमल
(स) आराधना
(द) अनामिका ✔
78. ‘राम की शक्ति पूजा’ में प्रयुक्त ‘रवि हुआ अस्त’ पंक्ति की असंगत व्याख्या है-
(अ) सूर्य के अस्त होने का वर्णन
(ब) राम के निर्बल होने का संकेत
(स) दग्धाक्षर ’र’ का प्रयोग
(द) लक्ष्मण के मूर्च्छित होने का संकेत
79. “अंधेरे में’ कविता की अन्तिम पंक्तियाँ उस अस्मिता या आइडेंटिटी की खोज की ओर संकेत करती है जो आधुनिक मानव की सबसे ज्वलन्त समस्या है। निस्सन्देह इस कविता का मूल कथ्य है अस्मिता की खोज।”अंधेरे में’ कविता के विषय में यह कथन किसका है ?
(अ) रामविलास शर्मा
(ब) नामवर सिंह
(स) निर्मला जैन
(द) विश्वनाथ त्रिपाठी
80. डाॅ. रामविलास शर्मा ने ‘राम की शक्ति पूजा’ में किन दो कविताओं का सार तत्व माना है ?
(अ) जागो फिर एक बार व बादल राग
(ब) तुलसीदास व सरोज स्मृति
(स) सरोज स्मृति व जूही की कली
(द) तुलसीदास व कुकुरमुत्ता
81. ‘अरे, इन रंगीन पत्थर फूलों से मेरा काम न चलेगा।’
पंक्ति में मुक्तिबोध का संकेत किस ओर नहीं है ?
(अ) आत्मपरक जड़ीभूत सौन्दर्यभिरूचि का तिरस्कार
(ब) मस्तिष्क शिराओं में तनाव पैदा करने का आग्रह
(स) कविता के कमजोर ज्ञानात्मक आधार का स्वीकार
(द) अभिव्यक्ति के खतरे उठाने का संकल्प
82. ‘जिंदगी के…………..कमरों में अँधेरे
कोई एक लगातार; लगाता है चक्कर
आवाज पैरों की देती है सुनायी बार-बार………….बार-बार।’’
‘अंधेरे में’ कविता की प्रारम्भिक पंक्तियों के सन्दर्भ में त्रुटिपूर्ण कथन है-
(अ) कविता का आरम्भ काव्यशैली का चमत्कार मात्र है
(ब) कविता का आरम्भ रहस्यमय दृश्य से होता है
(स) नाटकीय आरम्भ है
(द) वह रहस्यमय व्यक्ति अब तक न पायी गयी रचनाकार की अभिव्यक्ति है।
83. किस विकल्प के अन्तर्गत लिखित कोई एक स्त्री पात्र ’गोदान’ की कथा में नहीं है ?
(अ) झुनिया, सिलिया, गोविन्दी
(ब) रूपा, चुहिया, नोहरी
(स) धनिया, मालती, वृन्दा ✔
(द) सोना, पुन्नी, सरोज
84. ’’संसार में गऊ बनने से काम नहीं चलता। जितना दबो, उतना ही लोग दबाते है। थाना-पुलिस, कचहरी-अदालत सब है हमारी रक्षा के लिए; लेकिन रक्षा कोई नहीं करता। चारों तरफ लूट है।’’
‘गोदान’ में कथन किसका है ?
(अ) रामसेवक✔
(ब) धनिया
(स) गोबर
(द) झूनिया
85. ’मालती बाहर से तितली है, भीतर से मधुमक्खी।’
मालती के व्यक्तित्व के सम्बन्ध में यह टिप्पणी किसकी है ?
(अ) मेहता की
(ब) लेखक की ✔
(स) खन्ना की
(द) रायसाहब की
86. निम्नलिखित में से ’त्यागपत्र’ का प्रमुख संदर्भ है-
(अ) मनावैज्ञानिक ✔
(ब) राजनैतिक
(स) ऐतिहासिक
(द) आंचलिक
87. ‘श्रद्धा-भक्ति’ निबन्ध के अनुसार असत्य कथन है-
(अ) श्रद्धा का व्यापार-स्थल विस्तृत है प्रेम का एकान्त।
(ब) प्रेम का कारण बहुत कुछ अनिर्दिष्ट व अज्ञात होता है पर श्रद्धा का कारण निर्दिष्ट व ज्ञात होता है।
(स) श्रद्धा एकमात्र अपने अनुभव पर निर्भर रहती है पर प्रेम अपनी सामाजिक विशेषता के कारण दूसरों के अनुभव पर भी जगता है। ✔
(द) श्रद्धा और प्रेम के योग का नाम भक्ति है।
88. अरस्तू के अनुकरण सिद्धांत के सम्बन्ध में असंगत कथन है-
(अ) कला प्रकृति की भावनामय तथा कल्पनामय अनुकृति नहीं है। ✔
(ब) काव्य का विषय प्रकृति का प्रतीयमान, सम्भाव्य और आदर्श रूप है।
(स) अनुकरण एक सर्जन क्रिया है।
(द) अनुकरण वह तंत्र है जिसके द्वारा कवि अपनी कल्पनात्मक अनुभूति की प्रक्षेपणीय अभिव्यक्ति को अन्तिम रूप प्रदान करता है।
89. अरस्तू ने त्रासदी के अनिवार्य अंग स्वीकार किए है-
(अ) पाँच
(ब) छः ✔
(स) सात
(द) आठ
90. प्लेटों के विचारों से बेमेल है-
(अ) तात्त्विक दृष्टि से मूल सत्य अमूत्र्त ज्ञान रूप विचार होता है
(ब) वस्तु सत्य अमूर्त का ज्ञान प्रसूत मूत्र्त रूप है।
(स) कलाकृति धारणा-प्रसूत आभास मात्र है।
(द) अमूत्र्त ज्ञान रूप व धारणा प्रसूत आभास में अन्तर नहीं होता। ✔
91. अरस्तू के विरेचन सिद्धान्त के सम्बन्ध में संगत कथन है-
(अ) अरस्तू ने ’विरेचन’ शब्द का ग्रहण साहित्यशास्त्र से इतर स्रोत से किया।
(ब) मन की शुद्धि से आत्मा विशद व प्रसन्न होती है।
(स) प्लेटो द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों का समर्थन करने हेतु विरेचन की अवधारणा प्रस्तुत की गयी। ✔
(द) अरस्तू ने विरेचन शब्द का प्रयोग त्रासदी की परिभाषा देते हुए किया।
92. ’पेरिइप्सुस’ ग्रन्थ के रचयिता है-
(अ) अरस्तू
(ब) लोंजाइनस ✔
(स) क्रोचे
(द) काॅलरिज
93. त्रासदी के अनिवार्य अंगों के सम्बन्ध में उपयुक्त कथन है-
(अ) दृश्य-विधान, पदावली व भाषा-परिष्कार अनुकरण के विषय है।
(ब) पदावली, गीत व चरित्र अनुकरण के विषय है।
(स) कथानक, चरित्र व विचार अनुकरण के विषय है ✔
(द) भाषा परिष्कार, दृश्यविधान व कथानक अनुकरण के विषय है
94. लोंजाइनस की उदात्त सम्बन्धी मान्यतानुसार असंगत कथन है-
(अ) विषय साधन नहीं साध्य है
(ब) प्राचीन काव्यानुशीलन आवश्यक है।
(स) विशद बिम्बों की योजना उपादेय है।
(द) विषय का विस्तारपूर्ण होना आवश्यक है। ✔
95. क्रोचे की मान्यता नहीं है
(अ) सहज ज्ञान और प्रत्यक्ष ज्ञान में अभेद है।
(ब) स्वयंप्रकाश ज्ञान बौद्धिक ज्ञान से स्वतंत्र व स्वायत्त होता है।
(स) अभिव्यंजना ज्ञान रूप है और काव्यप्रकाशन कर्म रूप है।
(द) कला एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है ✔
96. क्रोचे के अनुसार कला की सृजन प्रक्रिया से जुड़ा अनिवार्य चरण नहीं है-
(अ) कलाकार द्वारा उद्दीपक प्रभावों के अन्तर्गत अमूत्र्त संवेदना का अनुभव
(ब) बिम्ब विधान के माध्यम से मानस स्तर पर अभिव्यंजना की पूर्णता
(स) कल्पना शक्ति के माध्यम से उद्दीपक प्रभावों का संश्लेषण तथा अन्वय
(द) मानस अभिव्यंजना का भौतिक स्तर पर कला आदि के रूप में अवतारण ✔
97. लोंजाइनस के ’उदात्त के स्रोत’ में सम्मिलित नहीं है-
(अ) भावावेश की तीव्रता
(ब) गरिमामय रचना विधान
(स) अत्यधिक शब्दाडम्बर ✔
(द) समुचित अलंकार योजना
98. मन्नू भण्डारी कृत ’महाभोज’ उपन्यास का प्रथम प्रकाशन वर्ष है-
(अ) सन् 1978
(ब) सन् 1979 ✔
(स) सन् 1980
(द) सन् 1981
99. इनमें से अवधी की प्रारम्भिक कृति मानी जाती है-
(अ) चन्दायन ✔
(ब) मधुमालती
(स) मृगावती
(द) चित्रावली
100. राजस्थानी वर्ग की मालवी बोली का क्षेत्र नहीं है
(अ) रतलाम
(ब) देवास
(स) उज्जैन
(द) रायपुर ✔
101. ’वागड़ी’ बोली को निम्नलिखित में से सर्वाधिक प्रभावित करने वाली भाषा/बोली है:
(अ) पंजाबी
(ब) बघेली
(स) ब्रज
(द) गुजराती ✔
102. ’संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी।’ संविधान के किस अनुच्छेद में वर्णित है ?
(अ) अनुच्छेद 342
(ब) अनुच्छेद 343 ✔
(स) अनुच्छेद 344
(द) अनुच्छेद 235
103. ढूंढाड़ी बोली को इस नाम से नहीं जाना जाता है-
(अ) जयपुरी बोली
(ब) झाड़साही बोली
(स) अहीरवाटी बोली ✔
(द) काई कुई की बोली
104. वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, भारत-सरकार द्वारा देवनागरी वर्णमाला सारणी के मानकीकृत स्वीकृत रूप में सम्मिलित नहीं किया जाने वाला लिपि चिह्न है-
(अ) ख
(ब) ळ
(स) लृ ✔
(द) ड़
105. वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग द्वारा मानक हिंदी वर्तनी मानकीकरण के अनुसार ’हाइफन’ का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए
(अ) कठिन सन्धियों से बचने के लिए
(ब) सामान्यतः तत्पुरुष समासों में ✔
(स) सा, जैसा आदि से पूर्व
(द) द्वन्द्व समास में पदों के मध्य
106. हिंदी का मानक रूप किस बोली के सर्वाधिक निकट है ?
(अ) खड़ी बोली ✔
(ब) बांगरू
(स) कन्नौजी
(द) अवधी
107. हिंदी वर्तनी के मानक रूप की दृष्टि से अशुद्ध शब्द है-
(अ) बुड्ढा
(ब) चाहिए
(स) स्थाई ✔
(द) वाङ्मय
108. किस विकल्प के सभी शब्द ’परा’ उपसर्ग से निर्मित है ?
(अ) परास्त, परामर्श, पराग
(ब) पराश्रय, पराभव, परायण
(स) परावर्त, परार्थ, पराक्रम ✔
(द) पराजय, पराशर, पराधीन
109. किस विकल्प के सभी शब्द सन्तानवाची प्रत्यय से निर्मित है ?
(अ) राघव, कौरव, लाघव
(ब) पुष्पित, हर्षित, पल्लवित
(स) शैव, पार्थिव, गौरव
(द) काश्यप, वासुदेव, पार्थ ✔
110. वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग द्वारा वर्तनी लेखन सम्बन्धी नियमों के अनुसार अशुद्ध प्रयोग है-
(अ) खड़ी पाई जाने वाले व्यंजनों का संयुक्त रूप खड़ी पाई को हटाकर बनाया जाना चाहिए
(ब) पूर्वकालिक प्रत्यय ’कर’ क्रिया से मिलाकर लिखा जाए।
(स) ’द’ व ’ह’ के संयुक्ताक्षर ’हल्’ लिपि संकेत लगाकर बनाए जाएँ।
(द) ’तक’ अव्यय सदैव पूर्ववर्ती शब्द के साथ लिखा जाए। ✔
111. किस विकल्प के सभी शब्द ’तत्पुरुष समास’ से निर्मित है ?
(अ) हरदिन, आशातीत, कविश्रेष्ठ
(ब) गृहस्थ, हरफनमौला, कपड़छन ✔
(स) हररोज, देशभक्ति, ग्रामवास
(द) राजपुत्र, अकालपीड़ित, हाथोंहाथ
112. वाक्य के सम्बन्ध में अनुपयुक्त कथन है-
(अ) वाक्य के मुख्य दो अवयव होते है- उद्देश्य और विधेय
(ब) जिस वस्तु के विषय में कुछ कहा जाता है, उसे सूचित करने वाले शब्दों को विधेय कहते है ✔
(स) जिस वाक्य में एक उद्देश्य व एक विधेय रहता है, उसे साधारण वाक्य कहते है
(द) रचना के अनुसार वाक्य तीन प्रकार के होते है।
113. अर्थ के अनुसार वाक्य का प्रकार नहीं है
(अ) सम्बन्धबोधक✔
(ब) आज्ञार्थक
(स) संकेतार्थक
(द) सन्देहसूचक
114. किस विकल्प के सभी शब्द स्वर-सन्धि से निर्मित है ?
(अ) अधोगति, स्वागत, षडानन
(ब) मनोयोग, देवेन्द्र, सदानन्द
(स) वार्तालाप, चन्द्रोदय, देवर्षि ✔
(द) महोत्सव, वयोवृद्ध, प्रमाण
115. अशुद्ध शब्द नहीं है
(अ) याज्ञवलक्य
(ब) मंत्रीपरिषद
(स) पुनरपि ✔
(द) ज्योत्सना
116. शुद्ध वाक्य नहीं है-
(अ) इसी बहाने हमें दर्शन हो गये।
(ब) अश्वमेध का घोड़ा पकड़ा गया।
(स) उपस्थित लोगों ने संकल्प किया।
(द) आपका यह मत ग्राह्ययोग्य है। ✔
117. अशुद्ध वाक्य नहीं है
(अ) वह अपराधी दण्ड देने योग्य है
(ब) वह पुत्रवत् अपनी प्रजा का पालन करता था।
(स) विद्यार्थियों की मेले में अनेकों टोलियाँ थी।
(द) जैन साहित्य प्राकृत में लिखा गया है। ✔
118. सार्वनामिक विशेषणयुक्त वाक्य है-
(अ) इतने गुणज्ञ और रसिक लोग एकत्र है।
(ब) दोनों के दोनों लड़के मूर्ख निकले।
(स) राम का सिर कुछ भारी-सा हो गया।
(द) उसे दवा दो-दो घंटे के बाद दी जाए ✔
119. किस विकल्प के सभी शब्द शुद्ध है-
(अ) स्वादिष्ठ, दुरवस्था, दिवारात्र
(ब) छत्रछाया, कवयित्री, कुमुदिनी
(स) उच्छवास, मात्रिच्छा, दुष्कर्म
(द) स्रोत, घनिष्ठ, ऐन्द्रजालिक ✔
120. समुच्चयबोधक अव्यय का प्रयोग नहीं हुआ है-
(अ) चोर ऐसा भागा कि उसका पतना ही न लगा।
(ब) राजा ने समुद्र पर्यन्त राज्य बढ़ाया। ✔
(स) न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी।
(द) यद्यपि हम वनवासी है तो भी लोक के व्यवहारों को भली-भाँति जानते है।
121. ’रमणीयार्थ प्रतिपादकः शब्दः काव्यम्।’ काव्य की यह परिभाषा देने वाले आचार्य है
(अ) आचार्य मम्मट
(ब) आचार्य विश्वनाथ
(स) आचार्य पण्डितराज जगन्नाथ ✔
(द) आचार्य कुन्तक
122. ’’अंत करण की वृत्तियों के चित्र का नाम कविता है।’’ कहकर कविता की परिभाषा देने वाले आचार्य हैं-
(अ) रामचन्द्र शुक्ल
(ब) महावीर प्रसाद द्विवेदी ✔
(स) बाबू गुलाबराय
(द) बाबू श्यामसुन्दर दास
123. किस विकल्प में अकर्मक क्रिया का प्रयोग हुआ है ?
(अ) राजा के दान दिया
(ब) नौकर चिट्ठी लाया
(स) नौकर बीमार रहा ✔
(द) पण्डित कथा सुनाते है
124. भट्ट तौत के अनुसार काव्य हेतु ’प्रतिभा’ की व्याख्या है-
(अ) प्रज्ञा नवनवोन्मेषशालिनी प्रतिभा मता। ✔
(ब) प्रतिभा नवनवोल्लेखशालिनी प्रज्ञा।
(स) अपूर्व वस्तु निर्माण क्षमा प्रज्ञा।
(द) क्षणं स्वरूपस्पर्शोत्था प्रज्ञैव प्रतिभा कवेः।
125. आचार्य और काव्य प्रयोजन का सुमेलन नहीं है
(अ) सहृदयों की प्रियता, धनार्जन – दण्डी
(ब) रस की निष्पत्ति, चतुवर्ग फल की प्राप्ति – आनन्दवर्धन ✔
(स) लोक व्यवहार का ज्ञान, लोकोत्तर आनन्द लाभ – कुन्तक
(द) कीर्ति व प्रीति – विश्वनाथ
126. निम्नलिखित में से कौन-सा काव्य हेतु नहीं है ?
(अ) व्युत्पत्ति
(ब) अभ्यास
(स) प्रेरणा
(द) समाधि ✔
127. आचार्य जयदेव ने ’अंगीकरोति यः काव्यम्………..’ कहकर जिस आचार्य के काव्य लक्षण को चुनौती दी है ?
(अ) क्षेमेन्द्र
(ब) मम्मट ✔
(स) भामह
(द) अप्पय दीक्षित
128. ’जब मन में तमोगुण व रजोगुण दब जाते है और सत्व गुण का उद्रेक व प्राबल्य होता है तभी रस की अनुभूति होती है।’ रसास्वाद के संबंध में यह विचार है-
(अ) रामचन्द्र गुणचन्द्र
(ब) क्षेमेन्द्र
(स) विश्वनाथ ✔
(द) शारदातनय
129. ’’व्यक्ति तो विशेष ही रहता है पर प्रतिष्ठा उसमें ऐसे सामान्य धर्म की रहती है जिसके साक्षात्कार से सब श्रोताओं या पाठकों के मन में एक ही भाव का उदय थोड़ा या बहुत होता है।’’ साधारणीकरण के विषय में यह कथन है-
(अ) डाॅ. नगेन्द्र
(ब) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ✔
(स) आचार्य राधावल्लभ त्रिपाठी
(द) डाॅ. राधावल्लभ त्रिपाठी
130. ’’साहित्य मनुष्य के अन्तर का उच्छलित आनन्द है जो उसके अन्तर में अटाए नहीं अट सका था। साहित्य का मूल यही आनन्द का अतिरेक है। उच्छलित आनन्द के अतिरेक से उद्भूत सृष्टि ही सच्चा साहित्य है।’’ साहित्य सम्बन्धी अवधारणा है-
(अ) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
(ब) आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी
(स) डाॅ. नगेन्द्र
(द) आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी ✔
131. ’रस ध्वनि’ किसे कहा गया है ?
(अ) अर्थान्तरसंक्रमितवाच्य ध्वनि
(ब) अत्यन्ततिरस्कृतवाच्य ध्वनि
(स) संलक्ष्यक्रमव्यंग्य ध्वनि
(द) असंलक्ष्यक्रमव्यंग्य ध्वनि ✔
132. वाच्यार्थ की वांछनीयता एवं उसका व्यंग्यनिष्ठ होना ध्वनि के किस भेद की विशेषता है ?
(अ) विवक्षितान्यपरवाच्य ध्वनि ✔
(ब) अविवक्षितवाच्य ध्वनि
(स) अर्थान्तरसंक्रमितवाच्य ध्वनि
(द) अत्यन्ततिरस्कृतवाच्य ध्वनि
133. कुन्तक के अलंकारों का विधान वक्रोक्ति के किस भेद के अन्तर्गत किया है ?
(अ) पदपरार्ध वक्रता
(ब) प्रकरण वक्रता
(स) वाक्य वक्रता ✔
(द) पदपूर्वार्ध वक्रता
134. अभिनवगुप्त के अनुसार रसास्वाद प्रक्रिया के सम्बन्ध में अनुपयुक्त कथन है-
(अ) साधारणीकरण व्यंजना के विभावन व्यापार का परिणाम नहीं है। ✔
(ब) स्थायी भाव अनादि वासना के रूप में सहृदय के हृदय मे पूर्वस्थित रहता है।
(स) विभावादि व्यंजक होते है और रस व्यंग्य
(द) रसानन्द अखण्ड होता है।
135. अलंकार के सम्बन्ध में असंगत कथन है-
(अ) वर्णनीय रस की अनुकूलता के अनुसार वर्णों का बार-बार व पास-पास प्रयोग होने पर अनुप्रास अलंकार होता है।
(ब) सार्थक और निरर्थक भिन्न अर्थ वाले वर्ण समुदाय की क्रमशः आवृत्ति को यमक कहते है।
(स) उपमेय व उपमान में भिन्नता के होने पर भी साम्य स्थापना को उपमा कहते है
(द) वक्ता द्वारा अन्य अभिप्राय से कथित वाक्य को काकु से जब श्रोता अन्य अर्थ कल्पित करे तो वहाँ सन्देह अलंकार होता है। ✔
136. “सुबरन को ढूँढत फिरैं, कवि कामी अरु चोर।” में अलंकार है-
(अ) यमक
(ब) श्लेष
(स) रूपक
(द) वयणसगाई
137. कौन से आचार्य वक्रोक्ति को अलंकार का मूल मानकर उसके अभाव में अलंकार की कल्पना नहीं करते और इसी कारण हेतु, सूक्ष्म और लेश को अलंकार की श्रेणी में परिगणित नहीं करते ?
(अ) दण्डी
(ब) भामह
(स) वामन
(द) कुन्तक
138. “पाइ महावर दैंन कौं नाइनि बैठी आइ।
फिरि फिरि जानि महावरी एड़ी मीड़ति जाइ।।”
में अलंकार है-
(अ) उपमा
(ब) सन्देह
(स) भ्रान्तिमान
(द) उत्प्रेक्षा
139. ’’सून्य भीति पर चित्र, रंग नहिं, तनु-बिनु लिखा चितरे।
धोये मिटै न, मरइ भीति, दुख पाइय इहि तनु हेरे।’’
में अलंकार है-
(अ) अपहनुति
(ब) मानवीकरण
(स) विभावना
(द) वयणसगाई
140. ’वयणसगाई’ के सम्बन्ध में असत्य कथन है-
(अ) यह डिंगल का विशिष्ट अलंकार है।
(ब) त वर्ग व ट वर्ग की वयणसगाई उत्तम कोटि की होती है
(स) चरण का प्रथम अक्षर व चरणान्त के अन्तिम शब्द का प्रथम अक्षर समान होता है।
(द) चरण के प्रथम शब्द के आदि वर्ण की आवृत्ति चरणान्त शब्द के अन्त में भी सम्भव है।
141. जहाँ प्रस्तुत में अप्रस्तुत की सम्भावना होती है वहाँ अलंकार होता है-
(अ) उत्प्रेक्षा
(ब) सन्देह
(स) भ्रांतिमान
(द) रूपक
142. ’नेत्र निमीलन करती मानो
प्रकृति प्रबुद्ध लगी होने;
जलधि लहरियों की अंगड़ाई
बार-बार जाती सोने।।’’
में प्रमुख अलंकार है-
(अ) मानवीकरण
(ब) अपह्नुति
(स) भ्रान्तिमान
(द) श्लेष
143. दोहा छन्द का उदाहरण नहीं है-
(अ) उत्तम मध्यम नीच गति, पाहन सिकता पानि।
प्रीति परिच्छा तिहुँन की, बैर बितिक्रम जानि।।
(ब) सीता जू रघुनाथ को, अमल कमल की माल।
पहिरायी जनु सबन की, हृदयावलि भूपाल।।
(स) हिम्मत किम्मत होय, बिन हिम्मत किम्मत नहीं।
करे न आदर कोय, रद कागद ज्यूं राजिया।।
(द) विरह महानल विकल हिय, पिय पिय कहि बिलखाहि।
आये हू पिय के निकट, तिये पहिचानति नाँहि।।
144. उपमेय का निषेध कर उपमान की स्थापना करने वाला अलंकार है-
(अ) रूपक
(ब) वक्रोक्ति
(स) सन्देह
(द) अपह्नुति
145. “डिगति उर्वि अति गुर्वि, सर्ब पब्बै समुद्र-सर।
ब्याल बधिर तेहि काल, बिकल दिगपाल चराचर।।
दिग्गयंद लरखरत परत दसकंधु मुक्ख भर।
सुर-बिमान हिमभानु, भानु संघटित परसपर।।
चैंके बिरंचि संकर सहित, कोलु कमठु अहि कलमल्यौ।
ब्रह्मंड खंड कियो चंड धुनि, जबहिं राम सिवधनु दल्यौ।।”
किस छन्द में निबद्ध है ?
(अ) कुण्डलिया
(ब) छप्पय
(स) कवित्त
(द) मन्दाक्रान्ता
146. कुण्डलिया छन्द का लक्षण नहीं है-
(अ) प्रथम चार पंक्तियाँ रोला व अन्तिम दो पंक्तियाँ दोहा छंद की होती है।
(ब) मात्रिक विषम छन्द है।
(स) यह छन्द छह पंक्तियों का होता है।
(द) यह संयुक्त छन्द है।
147. मात्रिक सम छन्द नहीं है-
(अ) चौपाई
(ब) गीतिका
(स) हरिगीतिका
(द) उल्लाला
148. प्लेटो के सम्बन्ध में असत्य कथन है–
(अ) कविता ज्ञान से उत्पन्न होती है।
(ब) काव्य और नाटक अन्तः प्रेरणा से उत्पन्न होते है।
(स) काव्य भाव को उद्दीप्त करता है, तर्क को नहीं।
(द) कवि केवल माध्यम है वास्तविक रचयिता ईश्वर है।
149. प्लेटो ने नहीं माना है-
(अ) कला में अनुकरण की बात
(ब) कलाओं के पारस्परिक सम्बन्धों व वर्गीकरण की बात
(स) कलाओं में आदर्श की, न्याय, सौन्दर्य व सत्य की प्रतिष्ठा की बात
(द) चिन्तन को कला साधना का आवश्यक अंग न मानना
150. “प्रबल जो तुम में पुरुषार्थ हो।
सुलभ कौन तुम्हें न पदार्थ हो।
प्रगति के पथ में विचरो उठो।
भुवन में सुख-शांति भरो उठो।”
ये पंक्तियाँ किस छन्द में निबद्ध है ?
(अ) हरिगीतिका
(ब) द्रुतविलम्बित
(स) गीतिका
(द) मन्दाक्रान्ता