मुंशी प्रेमचंद – munshi premchand ka jeevan parichay

Munshi premchand ka jeevan parichay

मुंशी प्रेमचन्द ( 1880 – 1936)

जन्म – वाराणसी जिले के लमही ग्राम में।

❖मूल नाम – धनपतराय

❖असहयोग आंदोलन के दौरान सरकारी नौकरी से त्याग पत्र।

❖प्रेमचंद ने अपने लेखन की शुरुआत पहले उर्दू में नवाबराय के नाम से की , बाद में हिंदी में लिखने लगे।

प्रेमचंद की प्रमुख कृतियाँ

प्रेमचंद की कहानियाँ मानसरोवर के आठ भागों में संकलित ।

गुप्तधन (दो भाग)



उपन्यास –

❖सेवासदन (1918)

❖प्रेमाश्रय (1921)

❖रंगभूमि (1925)

❖कायाकल्प (1926)

❖निर्मला (1927)

❖कर्मभूमि (1932)

❖गबन (1931)

❖गोदान (1936)

❖मंगल सूत्र (1948) – अपूर्ण जिसे अमृतराय ने पूर्ण किया।

 नाटक – 

❖कर्बला

❖संग्राम

❖प्रेम की वेदी

❖प्रेमचंद का विविध प्रसंग तीन खंडों में है , जिसमे साहित्यिक और राजनीतिक निबंधों का संग्रह है।

❖प्रेमचंद का साहित्यिक निबन्ध – कुछ विचार है।

❖प्रेमचंद ने माधुरी ,हंस , मर्यादा ,व जागरण पत्रिकाओं का सम्पादन किया।

❖बंगाल के प्रसिद्ध साहित्यकार शरतचन्द्र ने इन्हें उपन्यास सम्राट की उपाधि दी।

❖प्रेमचंद की तुलना गोस्की (रूस) और लुशुन (चीन) से की जाती है ।

❖आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने प्रेमचंद के बारे कहा , ‘प्रेमचंद शताब्दियों से पददलित अपमानित और उपेक्षित कृषकों की आवाज थे।’

❖कफ़न प्रेमचंद की अंतिम कहानी मानी जाती है।

❖कहानियों में प्रेमचंद का आदर्शवादी दृष्टिकोण भी यथार्थवादी के साथ साथ दिखाई देता है।

❖इन्होंने लगभग 300 कहानियाँ लिखी।

प्रमुख कहानियाँ –

❖बलिदान (1918)

❖आत्माराम (1920)

❖बूढ़ी काकी  (1921)

❖विचित्र होली (1921)

❖गृहदाह (1922)

❖हार की जीत (1922)

❖परीक्षा (1923)

❖आपबीती (1923)

❖उद्धार (1924)

❖सवासेर गेंहू (1924)

❖शतरंज के खिलाड़ी (1924)

❖माता का हृदय (1924)

❖कजाकी (1926)

❖सुजान भगत (1927)

❖इस्तीफ़ा (1928)

❖अलग्योझा (1929)

❖पूस की रात (1930)

❖तावान (1931)

❖होली का उपहार (1931)

❖ठाकुर का कुआं (1932)

❖बेटों वाली विधवा (1932)

❖ ईदगाह (1933)

❖नशा (1934)

❖बड़े भाई साहब (1934)

❖कफ़न (1936)



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