हिंदी साहित्य का काल विभाजन Hindi Sahitya Ka Kaal Vibhajan
हिंदी के विद्वानों ने अपने अपने मत के अनुसार साहित्य का काल विभाजन किया है। प्रमुख विद्वानों का काल विभाजन निम्न प्रकार से है –
आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार हिंदी साहित्य का काल विभाजन –
आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने हिंदी साहित्य के इतिहास का काल विभाजन दोहरे नामकरण से किया गया। इन्होंने 900 वर्षो के हिंदी साहित्य को चार भागों में विभाजित किया ।
1. आदिकाल ( वीरगाथा काल , संवत 1050 से 1375)
2. पूर्व मध्य काल ( भक्ति काल , संवत 1375 से 1700)
3. उत्तर मध्य काल ( रीति काल , संवत 1700 से 1900)
4. आधुनिक काल ( गद्य काल , संवत 1900 से आज तक )
डॉ. रामकुमार वर्मा के अनुसार काल विभाजन –
1. संधि काल ( संवत 750 से 1000)
2. चारण काल ( संवत 1000 से 1375)
3. भक्ति काल ( संवत 1375 से 1700 )
4. रीति काल ( संवत 1700 से 1900)
5. आधुनिक काल ( संवत 1900 से अब तक )
मिश्र बंधु के अनुसार हिंदी साहित्य का काल विभाजन –
मिश्र बंधुओ ने अपने इतिहास ग्रंथ ‘ मिश्र बंधु विनोद ‘ में निम्न प्रकार से काल विभाजन किया ।
1.आरम्भिक काल
(क) पूर्वारम्भिक काल 700 से 1343 वि. संवत
(ख) उत्तरारम्भिक काल 1344 से 1444 वि. संवत
2. माध्यमिक काल
(क) पूर्व माध्यमिक काल 1445 से 1560 वि. संवत
(ख) प्रौढ़ माध्यमिक काल 1561 से 1680 वि. संवत
3. अलंकृत काल
(क) पूर्वालंकृत काल 1681 से 1790 वि. संवत
(ख) उत्तरालंकृत काल 1791 से 1889 वि. संवत
4. परिवर्तन काल – 1890 से 1925 वि. संवत
5. वर्तमान काल – 1926 से आज तक
डॉ. नगेन्द्र के अनुसार हिंदी साहित्य का काल विभाजन व नामकरण –
डॉ. नगेन्द्र ने अपने हिंदी साहित्य के इतिहास ( 1973) में काल विभाजन व नामकरण इस प्रकार किया –
1. आदिकाल – 7 वीं शताब्दी के मध्य से 14 वीं शताब्दी के मध्य तक।
2. भक्ति काल – 14 वीं शताब्दी के मध्य से 17 वीं शताब्दी के मध्य तक ।
3. रीति काल – 17 वीं शताब्दी के मध्य से 19 वीं शताब्दी के मध्य तक।
4. आधुनिक काल – 19 वीं शताब्दी के मध्य से अब तक
- पुनर्जागरण काल ( भारतेंदु काल) 1857 से 1900 ई. तक।
- जागरण काल ( द्विवेदी काल) 1900 से 1918 ई. तक।
- छायावाद काल – 1918 से 1938 ई. तक।
- प्रगति – प्रयोग काल – 1938 से 1953 ई. तक।
- नवलेखन काल – 1953 ई. से अब तक।
डॉ. जॉर्ज ग्रियर्सन के अनुसार काल विभाजन –
चाप जा ब्रज मुतु रितु अकम।
डॉ. जॉर्ज ग्रियर्सन ने हिंदी साहित्य के इतिहास को ग्यारह भागों में विभाजित किया गया। इन्होंने हिंदी साहित्य के प्रथम काल का नाम चारण काल कहा ।
1. चारण काल ( 700 – 1300 ई.)
2. पंद्रहवीं शती का धार्मिक पुनर्जागरण
3. जायसी की प्रेम कविता
4. ब्रज का कृष्ण सम्प्रदाय
5. मुगल दरबार
6. तुलसीदास
7. रीतिकाव्य
8. तुलसीदास के अन्य परवर्ती
9. अट्ठारहवीं शताब्दी
10. कम्पनी के शासन में हिंदुस्तान
11. महारानी विक्टोरिया के शासन में हिंदुस्तान।
बच्चन सिंह के अनुसार काल विभाजन –
1. अपभ्रंश काल
2. भक्तिकाल
3. रीतिकाल
4. आधुनिक काल
आदिकाल के नामकरण के प्रयोक्ता –
नाम | प्रयोक्ता |
चारण काल | जॉर्ज ग्रियर्सन |
बीजवपन काल | महावीर प्रसाद द्विवेदी |
वीरगाथा काल | आचार्य रामचंद्र शुक्ल |
आदिकाल | आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी |
सिद्ध सामन्त काल | पंडित राहुल सांकृत्यायन |
वीर काल | विश्वनाथ प्रसाद मिश्र |
संधि व चारण काल | डॉ. रामकुमार वर्मा |
आरम्भिक काल | मिश्र बंधु |
आधार काल | सुमन राजे |
रीतिकाल का नामकरण
नाम | प्रयोक्ता |
रीतिकाल | आचार्य रामचंद्र शुक्ल |
अलंकृत काल | मिश्र बंधु |
श्रृंगार काल | विश्वनाथ प्रसाद मिश्र |
रीतिकाव्य | जॉर्ज ग्रियर्सन |
कला काल | रमाशंकर शुक्ल रसाल |