HINDI SAHITYA KA ITIHAS 01 हिंदी साहित्य का इतिहास
1.किस विकल्प के सभी शब्द शुद्ध हैं ?
(1) स्वादिष्ठ, दुरवस्था, दिवारात्र
(2) छत्रछाया, कवयित्री, कुमुदिनी
(3) उच्छवास, मात्रिच्छा, दुष्कर्म
(4) स्रोत, घनिष्ठ, ऐन्द्रजालिक
2. अशुद्ध शब्द नहीं है.
(1) याज्ञवलक्य
(2) मंत्रीपरिषद
(3) पुनरपि
(4) ज्योत्सना
3. शुद्ध वाक्य नहीं है।
(1) इसी बहाने हमें दर्शन हो गये।
(2) अश्वमेध का घोड़ा पकड़ा गया ।
(3) उपस्थित लोगों ने संकल्प किया।
(4) आपका यह मत ग्राह्ययोग्य है।
4. अशुद्ध वाक्य नहीं है
(1) वह अपराधी दण्ड देने योग्य है।
(2) वह पुत्रवत् अपनी प्रजा का पालन करता था।
(3) विद्यार्थियों की मेले में अनेकों टोलियाँ थी
(4) जैन साहित्य प्राकृत में लिखा गया है।
5. सार्वनामिक विशेषणयुक्त वाक्य है
(1) इतने गुणज्ञ और रसिक लोग एकत्र हैं।
(2) दोनों के दोनों लड़के मूर्ख निकले।
(3) राम का सिर कुछ भारी सा हो गया।
(4) उसे दवा दो-दो घंटे के बाद दी जाए।
6. किस विकल्प में अकर्मक क्रिया का प्रयोग हुआ है ?
(1) राजा ने दान दिया ।
(2) नौकर चिट्ठी लाया ।
(3) नौकर बीमार रहा।
(4) पण्डित कथा सुनाते हैं।
7. समुच्चयबोधक अव्यय का प्रयोग नहीं हुआ है
(1) चोर ऐसा भागा कि उसका पता ही न लगा ।
(2) राजा ने समुद्र पर्यन्त राज्य बढ़ाया
(3) न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी
(4) यद्यपि हम वनवासी हैं तो भी लोक के व्यवहारों को भली-भाँति जानते हैं।
8. ‘रमणीयार्थ प्रतिपादकः शब्दः काव्यम् ।’ काव्य की यह परिभाषा देने वाले आचार्य हैं।
(1) आचार्य मम्मट
(2) आचार्य विश्वनाथ
(3) आचार्य पण्डितराज जगन्नाथ
(4) आचार्य कुन्तक
9. “अंतःकरण की वृत्तियों के चित्र का नाम कविता है ।” कहकर कविता की परिभाषा देने वाले आचार्य है?
(1) रामचन्द्र शुक्ल
(2) बाबू गुलाबराय
(3) बाबू श्यामसुन्दर दास
(4) महावीरप्रसाद द्विवेदी
10. आचार्य जयदेव ने ‘अंगीकरोति यः काव्यम् ‘ कहकर किस आचार्य के काव्य लक्षण को चुनौती दी है ?
(1) क्षेमेन्द्र
(2) मम्मट
(3) भामह
(4) अप्पय दीक्षित
11. भट्ट तौत के अनुसार काव्य हेतु ‘प्रतिभा’ की व्याख्या है?
(1) प्रज्ञा नवनवोन्मेषशालिनी प्रतिभा मता ।
(2) प्रतिभा नवनवोल्लेखशालिनी प्रज्ञा ।
(3) अपूर्व वस्तु निर्माण क्षमा प्रज्ञा ।
(4) क्षणं स्वरूपस्पर्शोत्था प्रज्ञैव प्रतिभा कवेः ।
12. आचार्य और काव्य प्रयोजन का सुमेलन नहीं है।
(1) सहृदयों की प्रियता, धनार्जन – दंडी
(2) रस की निष्पत्ति, चतुर्वर्ग फल की प्राप्ति – आनंदवर्धन
(3) लोक व्यवहार का ज्ञान, लोकोत्तर आनंद लाभ – कुन्तक
(4) कीर्त्ति व प्रीति – विश्वनाथ
13. निम्नलिखित में से कौन सा काव्य हेतु नहीं है ?
(1) व्युत्पत्ति
(2) अभ्यास
(3) प्रेरणा
(4) समाधि
14. “साहित्य मनुष्य के अन्तर का उच्छलित आनन्द है जो उसके अन्तर में अटाए नहीं अट सका था । साहित्य का मूल यही आनन्द का अतिरेक है। उच्छलित आनन्द के अतिरेक से उद्भूत सृष्टि ही सच्चा साहित्य है।” साहित्य सम्बन्धी अवधारणा है
(1) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
(2) आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी
(3) डॉ. नगेन्द्र
(4) आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी
15. ‘जब मन में तमोगुण व रजोगुण दब जाते हैं और सत्त्व गुण का उद्रेक व प्राबल्य होता है तभी रस की अनुभूति होती है।’ रसास्वाद के संबंध में यह विचार है।
(1) रामचन्द्र गुणचन्द्र
(2) क्षेमेन्द्र
(3) विश्वनाथ
(4) शारदातनय
16. व्यक्ति तो विशेष ही रहता है पर प्रतिष्ठा उसमें ऐसे सामान्य धर्म की रहती है जिसके साक्षात्कार से सब श्रोताओं या पाठकों के मन में एक ही भाव का उदय थोड़ा या बहुत होता है ।” साधारणीकरण के विषय में यह कथन है
(1) डॉ. नगेन्द्र
(2) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
(3) आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी
(4) डॉ. राधावल्लभ त्रिपाठी
17.अभिनवगुप्त के अनुसार रसास्वाद प्रक्रिया के सम्बन्ध में अनुपयुक्त कथन है –
(1) साधारणीकरण व्यंजना के विभावन व्यापार का परिणाम नहीं है।
(2) स्थायी भाव अनादि वासना के रूप में
(3) सहृदय के हृदय में पूर्वस्थित रहता है। विभावादि व्यंजक होते हैं और रस व्यंग्य।
(4) रसानन्द अखण्ड होता है।
18. ‘रस ध्वनि’ किसे कहा गया है ?
(1) अर्थान्तरसंक्रमितवाच्य ध्वनि
(2) अत्यन्ततिरस्कृतवाच्य ध्वनि
(3) संलक्ष्यक्रमव्यंग्य ध्वनि
(4) असंलक्ष्यक्रमव्यंग्य ध्वनि
19. वाच्यार्थ की वांछनीयता एवं उसका व्यंग्यनिष्ठ होना ध्वनि के किस भेद की विशेषता है ?
(2) अविवक्षितवाच्य ध्वनि
(3) अर्थान्तरसंक्रमितवाच्य ध्वनि
(4) अत्यन्ततिरस्कृतवाच्य ध्वनि
20. कुन्तक ने अलंकारों का विधान वक्रोक्ति के किस भेद के अन्तर्गत किया है ?
(1) पदपरार्ध वक्रता
(3) वाक्य वक्रता
(4) पदपूर्वार्ध वक्रता
Bahut achha hai