रांगेय राघव (1923 – 1962)
❖जन्म – आगरा में
❖मूल नाम – तिरुमलै नंबाकम वीर राघव आचार्य ।
❖साहित्य रचना रांगेय राघव नाम से की।
❖इनके पूर्वज जयपुर नरेश के निमंत्रण पर जयपुर आये थे , बाद में आगरा जाकर बस गए।
प्रमुख कहानी – संग्रह –
❖रामराज्य का वैभव
❖देवदासी
❖समुद्र के फेन
❖अधूरी मूरत
❖जीवन के दाने
❖अंगारे न बुझे
❖ऐयाश मुर्दे
❖इंसान पैदा हुआ
उपन्यास –
❖घरौंदा
❖विषाद मठ
❖मुर्दो का टीला
❖सीधा साधा रास्ता
❖अंधेरे के जुगनू
❖बोलते खंडहर
❖कब तक पुकारूँ।
❖1961 में राजस्थान साहित्य अकादमी ने उनकी साहित्य सेवा के लिए पुरस्कृत किया।
❖इनकी रचनाएँ रांगेय राघव ग्रंथावली नाम से दस खंडों में प्रकाशित ।
❖रांगेय राघव ने 1936 से कहानियाँ लिखनी शुरू की।