RPSC 2nd Grade Syllabus Hindi subject RPSC 2nd Grade Syllabus PDF in Hindi वरिष्ठ अध्यापक 2022 के लिए हिन्दी विषय का पाठ्यक्रम | इस विषय में कुल 150 प्रश्न आएंगे , प्रत्येक प्रश्न 2 अंक का होगा | इस परीक्षा मे एक तिहाई नकारात्मक अंक का प्रावधान है |ये परीक्षा कुल 300 अंकों की होगी |
PAPER – ।।
Part – (i)
RPSC 2ND GRADE TEACHER SYLLABUS HINDI SUBJECT
(माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्तर) –
- वर्ण व्यवस्था – स्वर व व्यंजनों का वर्गीकरण
- शब्द वर्गीकरण ( स्त्रोत के आधार पर ) – तत्सम, तद्भव, विदेशी ।
- शब्द वर्गीकरण ( व्याकरण आधारित ) – विकारी एवं अविकारी शब्दों का परिचय और भेद – उपभेद
- व्याकरणिक कोटियाँ – लिंग , वचन , कारक , काल , वाच्य
- शब्द रचना – समास, संधि, उपसर्ग व प्रत्यय
- शब्द ज्ञान – पर्यायवाची शब्द, विलोम शब्द, अनेकार्थ शब्द, समानोच्चारित शब्द (युग्म शब्द), वाक्यांश के लिए एक शब्द ।
- वाक्य – रचना – वाक्य का स्वरूप , पदक्रम , अंग , भेद – उपभेद
- शब्द शुद्धिकरण
- वाक्य शुद्धिकरण
- विराम चिह्नों का परिचय
- मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ
- अपठित गद्यांश / पद्याश आधारित प्रश्न
Part – (ii)
स्नातक स्तर –
(अ) – शब्द शक्तियों के भेद व उदाहरण ।
– काव्य की रीतियाँ, काव्य गुण, काव्यदोष (श्रुतिकटुत्व, ग्राम्यत्व, अप्रतीत्व, क्लिष्टत्व, अक्रमत्व तथा दुष्क्रमत्व)
अलंकार – श्लेष, यमक, उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, विभावना, असंगति, संदेह, भ्रांतिमान, विरोधाभास व मानवीकरण ।
छंद – द्रुतविलम्बित, हरिगीतिका, कवित्त, सवैया, दोहा, सोरठा व चौपाई |
रस – रस का स्वरूप तथा रसावयव ।
(ब ) – हिन्दी साहित्य के इतिहास का नामकरण, कालविभाजन
आदिकाल – काव्य धाराएं , प्रवृतियाँ , प्रमुख रचनाएं एवं रचनाकार
भक्तिकाल – काव्य धाराएं , प्रवृतियाँ , प्रमुख रचनाएं एवं रचनाकार
रीतिकाल – काव्य धाराएं , प्रवृतियाँ , प्रमुख रचनाएं एवं रचनाकार
आधुनिक काल – काव्य धाराएं , प्रवृतियाँ , प्रमुख रचनाएं एवं रचनाकार
( स ) हिन्दी भाषा का उद्भव एवं विकास, हिन्दी एवं उसकी बोलियों का सामान्य परिचय , देवनागरी लिपि
(द ) कबीर ग्रन्थावली – साखी प्रथम 5 अंग एवं 10 पद (सम्पादक श्यामसुन्दर दास)
– तुलसीदास – रामचरितमानस (बालकाण्ड)
– सूरदास – भ्रमरगीतसार (प्रथम 20 पद रामचन्द्र शुक्ल)
– मीराबाई – मीरां पदावली ( प्रथम 20 पद परशुराम चतुर्वेदी)
– बिहारी रत्नाकर – (प्रथम 20 दोहे)
– सूर्यमल्ल मिश्रण – वीर सतसई (प्रथम 20 दोहे)
– रामधारी सिंह दिनकर – कुरुक्षेत्र (प्रथम सर्ग)
– जयशंकर प्रसाद – कामायनी (आनन्द सर्ग)
– अज्ञेय – असाध्य वीणा (आँगन के पार द्वार से)
– आचार्य रामचन्द्र शुक्ल – (चिन्तामणि – भाग-1 केवल उत्साह, श्रद्धा, भक्ति, लोभ और प्रीति)
– मोहन राकेश – लहरों के राजहंस (नाटक)
– यादवेन्द्र शर्मा चंद्र – खून का टीका
– कहानियाँ –
‘उसने कहा था ‘ चन्द्र धर शर्मा गुलेरी
‘पुस की रात – प्रेमचंद
‘ पटापेक्ष नहीं होगा – हेतु भारद्वाज
‘ उजाले के मुसाहिब ‘ – विजय दान देथा
Part – (iii)
हिन्दी शिक्षण एवं शिक्षण विधियाँ –
(अ) – भाषायी कौषलों के विकास हेतु निम्नांकित पक्षों के स्वरूप का शिक्षण- श्रवण, उच्चारण, वर्तनी , वाचन
(सस्वर व मौन) अभिव्यक्ति (लिखित एवं मौखिक)
– हिन्दी की विभिन्न विधाओं का शिक्षण, शिक्षण विधियाँ एवं पाठ योजना निर्माण (इकाई व दैनिक)- गद्य
शिक्षण, पद्य शिक्षण, व्याकरण शिक्षण, रचना शिक्षण, कहानी शिक्षण, नाटक शिक्षण
(आ) – भाषा शिक्षण में निदानात्मक परीक्षण व उपचारात्मक शिक्षण
– भाषा शिक्षण में सहायक सामग्री का उपयोग
– भाषा शिक्षण में मूल्यांकन- सतत एवं समग्र मूल्यांकन, पाठान्तर्गत व पाठोपरांत मूल्यांकन
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